लगातार बारिश से मुसीबत

लगातार बारिश से मुसीबत में किसान, अफलन का शिकार फसल हुई जलमग्न, आंखों में पानी


खेतों में जल जमाव के चलते फसलें जलमग्न हो रही है, जिसे देख किसानों की आंखों में भरा पानी भी अब छलकने लगा है। अपनी मेहनत व उम्मीदों को जलमग्न होते देख किसानों के चेहरों पर छाई चिंता की झुर्रिया अब उनका दर्द बनकर उभरने लगी है। किसानों के इस दर्द को सरकार का मुआवजे का मरहम कम कर पाएगा या नहीं, यह अभी भविष्य की गर्त में है। सामान्य से अधिक बारिश हुई है इस वर्ष सामान्य से अधिक बारिश होने के कारण जहां आम जनजीवन प्रभावित होने लगा है, वहीं किसान अपनी फसल खराब होने के डर से दुखी है। जिलेभर के 2 लाख 81 हजार हैक्टेयर खरीफ के रकबे में अधिकांष सोयाबीन फसल किसानों द्वारा बोई गई। बोवनी के बाद लगातार एक माह तक बारिष नहीं हो पाई। बारिश की लंबी खेंच के कारण सोयाबीन की फसल में अफलन की बीमारी ने घर बना लिया। किसानों ने प्रभावित फसलों को बार-बार जनप्रतिनिधियों के साथ प्रशासनिक जिम्मेदारों को दिखाया। फसलों का सर्वे भी किया गया आखिरकार कलेक्टर के निर्देष पर किसानों की फसलों का सर्वे भी __किया गया। किसानों एवं सर्वे दल की माने तो अफलन के कारण सोयाबीन की फसल में लगभग 25 से 30 प्रतिशत नुकसान साफ देखा गया था। ऐसी स्थिती में अफलन नुकसान की भरपाई के बाद बाकि सलामत बची कुछ फसल से किसानों ने उम्मीद लगा रखी थी। लेकिन अब लगातार बारिश के कारण फलों से लदी सोयाबीन फसल भी जलमग्न होकर अंकुरित होने लगी है। अब 45 दिनों से लगातार बारिश इस वर्ष प्राकृतिक वातावरण खरीफ फसल के लिए बिलकुल भी अनुकूल नहीं रहा। किसानों ने जून माह के अंत व जुलाई के पहले सप्ताह तक खरीफ फसल की बोवनी कर ली थी। पहले तो बोवनी के बाद बारिश की एक माह तक लंबी खींच रही और उसके बाद 1 अगस्त से लेकर 14 सितंबर तक बारिश ने बिलकुल राहत नहीं दी। इस तरह लगातार 45 दिनों से बारिश होने के कारण खेत तालाब बन गए और फसलें जलमग्न होकर अंकुरित भी होने लगी है। किसानों के अनुसार अफलन व अतिवृष्टि के चलते सोयाबीन फसल में नुकसान का आंकड़ा 45 से 50 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। किसानों की संतुष्टि के लिए प्रदेश सरकार ने प्रभावित फसलों के सर्वे के लिए भले ही निर्देश सिद्धनाथसिंह जारी कर दिए, लेकिन मुआवजे की रूपरेखा तो फसल कटाई के बाद ही तय हो पाएगी।  ' लगातार हो रही बारिश के कारण पानी से भरे खेत में अंकुरित फसल दिखाकर अपनी पीडा जाहिर करते हए बोलाई के किसान सिद्धनाथसिंह ने बताया कि उनके पास केवल 5 बीघा ही जमीन है। रबी की फसल के लिए पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण सोयाबीन की फसल पर ही इनका दारोमदार रहता है। 



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