अब तक 63 इंच हुई वर्षा

बीते साल से लगभग दो गुना ज्यादा बरसे बदरा,अब तक 63 इंच हुई वर्षा, संकट में खरीफ की फसलें


जिले में बीते एक पखवाड़े से बरसात का क्रम लगातार जारी हैअभी तक धूप कभी कभार ही निकली है। इससे बरसात बीते साल की तुलना में दोगुने आंकड़े छूने की कगार पर है। लगातार बरसात से इस बार गर्मी के मौसम में जिले के रहवासियों को भले ही पेयजल संकट नहीं झेलना पड़े, लेकिन अब लगातार बरसात उनकी मुसीबत बढ़ा रही हैबारिश से फसल भी चौपट हो चुकी है जिले में सुबह तक पिछले चौबीस घन्टों में 15 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई है। इसे मिलाकर 1 जन से अभी तक जिले में 1576.6 मिमी औसत बारिश रिकार्ड की जा चुकी है ,जबकि गत वर्ष इस अवधि में 855 मिलीमीटर औसत वर्षा आंकी गई थी। बीते साल की तुलना में बरसात बीते तीन दशक का रिकार्ड तोड़ते हुए दो गुने आंकड़े को छूती हुई नजर आ रही है और अभी आसमान पर घने बादल छाये हुए हैं। सीहोर में 74 इंच के पार जानकारी के अनुसार पिछले चौबीस घन्टी में सीहोर में 17.2, श्यामपुर में 36, आष्टा में 11, जावर में 20.3, इछावर में 9, नसरुल्लागंज में 14, बुधनी में 5, रेहटी में 7.6 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है। आंकड़ों के मुताबिक जिले में अभी तक सीहोर में 1862.7, श्यामपुर में 1458, आष्टा में 1554, जावर में 1185.2,  इछावर में 1569, नसरूल्लागंज में 1823, बुधनी में 1465 तथा रेहटी में 1695.8 मिलीमीटर वर्षा रिकार्ड की गई है। इस अवधि में गत वर्ष सीहोर में 1203.2, श्यामपुर में 901, आष्टा में 804, जावर में 665.3, इछावर में 880, नसरूल्लागंज में 565.2, बुधनी में 865 तथा रेहटी में 956 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई थी। भवनों से लेकर फसलों तक प्रभावित लगातार हो रही बरसात के कारण से हालत यह है, शहर सहित ग्रामीण अंचलों की दर्जनों सड़कें उखड़ गई हैं, जिन पर आवागमन बहुत मुश्किल हो रहा है। सरकारी और आम लोगों के  पक्के भवनों की छतें भी टपकने लगी हैं। इस कारण से जहां सरकारी महकमा रिकार्ड को भींगने से बचाने के लिए प्रयासरत है तो वहीं आम लोगों को सीलन भरे भवनों में रहना पड़ रहा है। दूसरी ओर अब सोयाबीन की फसल भी प्रभावित हो रही है। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। मौसम ने दी राहत तो बाजार में लौटी रौनक नसरुल्लागंज। जन जीवन बेपटरी नजर आ रहा था, आज मौसम ने कुछ राहत दी तो बाजार में रौनक लौटी लोगखाद्य सामग्री सामान खरीद खरीदते हुए दिखाई दिए।  गौरतलब है कि क्षेत्र में लगातार हो रही बरसात के कारण से स्थनीय नदियां कुछ नालों की रपटों के ऊपर से पानी अभी भी बह रहा है। इस कारण आवागमन नहीं हो पा रहा है। जैसे छिदगांव की कोलार नदी के पानी की वजह से छिदगांव, आमा बड़गांव, डिमावर और बाबरी और कुछ अन्य गांव का इस पुल पर पानी होने से मुख्यालय से इन ग्रामों का 10 दिनों से संपर्क टूटा हुआ है। कभी इनको नगर में आना होता है तो 35 किलोमीटर का चक्कर काटकर रेहटी कलवाना रोड से निकल कर नगर में आना पड़ रहा है। फसलें प्रभावित नर्मदा नदी मे जो बाढ़ आई थी उससे इन नर्मदा तटों के ग्रामों में जहां सोयाबीन की फसल उगाई गई थी वहां पर बाढ़ का पानी आने से इन ग्रामवासी किसानों की सोयाबीन की फसल पानी के बहाव में उखड़ गई है या फिर पानी के ठहराव से फलियां गल गई है जिससे आज की स्थिति में रोड किनारे से जो जमीन में सोयाबीन बोया था उसमें पानी के भराव से सोयाबीन की फलियों के खराब हो रही है। नीलकंठ से चमेटी , छिद गांव की कोलार नदी में पानी आने से छीद गांव चमेटी के बीच की सोयाबीन की फसल पीली पड़ गई या खराब हो चुकी है, नर्मदा तट ग्रामों मैं बाढ़ का पानी आने से बड़गांव आमा डिमावर और बाबरी मंडी सील कंठ सात देव टिगाली चोरसा खेड़ी के ग्रामों की फसलें खराब होने की बात किसानों ने कही है।


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