अमेरिका में इमरान खान

अमेरिका में इमरान खान की किरकिरी


 पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों के चलते पूरी दुनिया में बेनकाब हो चुका है। धारा 370 और 35ए हटने के बाद कश्मीर-कश्मीर का राग अलापने के कारण उसकी चौतरफा किरकिरी हो रही है। विश्व बिरादरी ने सम्मान देना तो दूर भाव देना भी बंद कर दिया है। यहां तक कि मुस्लिम देश भी उसे मुंह लगाने को तैयार नहीं है। इतनी बेकद्री होने के बाद भी पाक हुक्मरान छल-कपट का सहारा लेने में ही लगे हुए हैं। दुनिया भी अब पाकिस्तान को आतंक के गढ़ के रूप में ही देख रही है, इसलिए उसे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में समर्थन नहीं मिला और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी मुंह की खानी पड़ी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूएन रवाना होने से पहले दावा कर रहे थे कि वे कश्मीर पर विश्व बिरादरी का समर्थन जुटाएंगे, कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय बनाकर ही दम लेंगे, लेकिन उनके इस बड़बोलेपन की हवा अमेरिकी हवाई जहाज पर निकल गई। अमेरिकी मंत्रिमंडल तो दूर की बात प्रशासन का भी कोई अधिकारी तक पाक प्रधानमंत्री की आगवानी के लिए नहीं पहुंचा। इमरान खान बड़े बेआबरू होकर खुद ही होटल गए। रही सही कसर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे को ध्वस्त करके निकाल दी। यहां तक कि उन्होंने नरेंद्र मोदी की तारीफ करके इमरान खान की हालत पतली कर दी। ट्रंप ने हाउडी मोदी कार्यक्रम और कश्मीर पर नरेंद्र मोदी का गुणगान करते हुए यहां तक कह दिया कि वो बहुत आक्रामक तरीके से यह मसला उठाते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति पाकिस्तानी रिपोर्टर पर भी भड़के। उन्होंने उसके सवाल का जवाब देने की बजाय इमरान से ही पूछ लिया, ऐसे रिपोर्टर कहां से लाते हो? प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इमरान ज्यादातर असहज ही नजर आए। शुरुआत में उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान पर बात करना चाहूंगा। अगर वहां स्थिरता रहती है तो पाकिस्तान में भी रहेगी। हम भारत, कश्मीर और ईरान के बारे में बात करना चाहते हैं। इस पर ट्रंप ने न केवल मुद्दे को ही खत्म कर दिया, बल्कि यहां तक कह डाला कि आप बहुत दोस्ताना पड़ोसियों के साथ रह रहे हैं। इससे इमरान खासे परेशान नजर आए। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि विश्व समुदाय पाकिस्तान के बारे में क्या सोचता है। ऐसे में इमरान खान का कश्मीर पर विश्व बिरादरी के समर्थन जुटाने का दावा कहां ठहरता है। चूंकि विश्व पाकिस्तान को एक जिम्मेदार राष्ट्र मानने से ही इनकार कर रहा है। वे उसे आतंक के पोषक के रूप में देख रहे हैं। ऐसे में भारत को भी उससे निपटने के लिए कुछ नए तौर-तरीके अपनाने होंगे। कश्मीर पर हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर मात खाने के बाद उसकी गैर जिम्मेदाराना हरकतें कुछ ज्यादा ही बढ़ती जा रही हैं। उसे न तो अपनी छवि की परवाह है और न ही प्रतिष्ठा की, इसीलिए वह एक ओर जहां कश्मीर को अशांत करने के लिए आतंकियों की घुसपैठ में जुटा है वहीं दूसरी ओर अपनी जनता को उकसाने में भी लगा हुआ है। वह यह काम इसीलिए कर रहा है, ताकि अपने लोगों का ध्यान उन समस्याओं से हटाया जा सके जिनसे हर पाकिस्तानी बुरी तरह त्रस्त है। अब जब यह और अधिक स्पष्ट है कि पाक कश्मीर के हालात बिगाड़ने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है तब भारत को उसे कठघरे में खड़ा करने, उसके झूठ को बेनकाब करने के अलावा भी कुछ करना होगा। ऐसे उपाय करने होंगे कि वो विश्व समुदाय के सामने बार-बार झूठ अलापने के लायक ही न रहे। ये कदम ऐसे होने चाहिए जिससे उसे यह अहसास हो सके कि वह आतंक का सहारा लेकर भारत को तंग नहीं कर सकता।



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