अयोध्या मामले में अड़गा

अयोध्या मामले में अब न आए कोई अड़गा


उच्चतम न्यायालय द्वारा सुनवाई की डेडलाइन तय कर देने से उम्मीद जगी है कि अब अयोध्या विवाद का समाधान जल्द हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या विवाद का जल्द समाधान करने की उम्मीद इसलिए भी की जा रही है, क्योंकि इसके निस्तारण में बहुत देर हो चुकी है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2010 में अयोध्या विवाद पर जो फैसला दिया था उस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक तो लगा दी, लेकिन अपना निर्णय नहीं सुनाया। जब जल्द निर्णय होने की संभावना है तो एक बार फिर मामले को लटका देने के इरादे से वो लोग भी सक्रिय हो गए हैं, जिन्होंने अब तक इस केस को फैसले को परिणति तक नहीं पहुंचने दिया। ये वही लोग हैं जिन्होंने कभी नई याचिका लगाकर तो कभी विवाद की दुहाई देकर इस केस को अदालतों में ही लटकाए रखा। आपको याद होगा इस मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से पैरवी कर रहे सुप्रीम कोर्ट के वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने अदालत से कहा था कि अपील पर सुनवाई अगले लोकसभा चुनाव के बाद जुलाई, 2019 में की जाए क्योंकि मौजूदा समय में माहौल सुनवाई के लिए माकूल नहीं हैं। हालांकि सिब्बल की इस मांग पर पूरे मुल्क में तीखी प्रतिक्रियाएं तो हुई थी, लेकिन सुनवाई नहीं हो पाई। इस भावनात्मक मसले पर मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति संकुचित मानसिकता के अलावा और कुछ नहीं। उनकी यह संकुचित मानसिकता हिंदुओं और मुसलमानों के बीच की खाई को और चौडा करने का ही काम कर रही है। विडंबना यह है कि हमारे अधिकांश दल मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति करने में ही अपनी भलाई समझते हैं। यही कारण है कि अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद का पहला मुकदमा 1885 में कायम हुआ था। 132 साल से यह तय नहीं हो पाया है कि झगड़े वाली जगह पर किस खुदा की इबादत हो। मामला निचली अदालतों से होता हुआ सुप्रीम कोर्ट तक आ पहुंचा है। अब सुप्रीम कोर्ट ने डेडलाइन तय कर दी है तो बयानवीर भी सक्रिय हो गए हैं, इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नासिक रैली में कहना पड़ा कि कुछ बड़बोले लोग अयोध्या में राम मंदिर को लेकर अनाप-शनाप बयान देना शुरू कर देते हैं, मैं ऐसे बयान बहादुर लोगों से हाथ जोड़कर निवेदन करता हूं कि भगवान के लिए, भगवान राम के लिए भारत की न्याय प्रणाली में विश्वास रखें अनाप-शनाप न बोलें। प्रधानमंत्री की हरियाणा के रोहतक, झारखंड के रांची के बाद महाराष्ट्र के नासिक में तीसरी रैली थीइन तीनों राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। तय है कि भारतीय चुनाव आयोग किसी भी समय मतदान कार्यक्रम का ऐलान कर सकता है। इसी के साथ इन तीनों राज्यों में आदर्श आचार संहिता लग जाएगी। प्रधानमंत्री द्वारा रैली में राम मंदिर मुद्दे को लाने के पीछे एक उद्देश्य यह भी रहा होगा कि ये लोग चुनाव की आड़ लेकर एक बार फिर अयोध्या मामले का लटकाने का प्रयास कर सकते हैं, इसीलिए उन्होंने इन बयानवीरों पर कड़ा प्रहार किया है ताकि वे अपने मकसद में कामयाब न हों, क्योंकि इस मामले को राजनीति ने ही फुटबाल बना दिया है। वोटबैंक के लिए राम भक्तों की भावनाओं से खिलवाड़ किया जा रहा है। वे यह समझने को भी तैयार नहीं कि भगवान राम भारत की सभ्यता और अस्मिता के प्रतीक हैं और यदि उनके नाम का मंदिर उनके जन्म स्थान पर नहीं बन सकता तो और कहां बन सकता है? राम के बगैर भारतीय मानस की कल्पना करना कठिन हैं। वे हमारी संस्कृति, हमारी सभ्यता, हमारे कण-कण में विराजमान हैं। राम के बिना भारत में जीवन की कल्पना भी कठिन है


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