बच्चों ने बनाया 'सफाई बैंक'

स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों ने बनाया 'सफाई बैंक'


देश को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए छोटे-छोटे बच्चे आगे आ रहे हैं। स्कूली बच्चों ने पेरेंट्स की मदद से मिल कर 'सफाई बैंक' बनाया है। इस बैंक के जरिए प्लास्टिक वेस्ट लैंडफिल साइट में जाने की बजाए इसका इस्तेमाल सीमेंट फैक्ट्रयों और रोड बनाने के लिए किया जा रहा है। बिस्किट्स, नमकीन, चिप्स, चाय पत्ती के पैकेट। मैगी से लेकर सर्फ़ तक हर चीज़ प्लास्टिक पैकिंग में आती है। और ये पैकिंग एक बार इस्तेमाल के बाद सीधा कचरे के ढेर में जाती है। लेकिन यहां जमा ये पैकेट लैंडफिल में नहीं जाएंगे। बल्कि ये कूड़ा, कचरा सफाई बैंक में जमा होंगे। सीमेंट फैक्ट्रियों और रोड बनाने के लिए किया जा रहा है इसका इस्तेमाल कम से कम 1000 रैपर इक्ट्ठा होने पर सिटी कॉर्डीनेटर को , बता दिया जाता है लेकर चौथी क्लास के अर्यन ने पर्यावरण को प्लास्टिक से बचाने की बड़ी जिम्मेदारी ली है। ये जो भी खाता है उसका रैपर डस्टबीन में डालने की बजाय उसको अलग से जमा करता है। इस काम में अर्यन के घर वाले भी उसकी पूरी मदद करते हैं।


वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में भेजे जाते हैं रैपर


सफाई बैंक में इक्ट्ठे हुए ये प्लास्टिक के रैपर अखिर जाते कहां हैंसबसे पहले ये बच्चे अपने घरों में ये रैपर जमा करते हैं। कम से कम 1000 रैपर इक्ट्ठा होने पर सिटी कॉर्डीनेटर को बता दिया जाता है। इसके बाद जगह इकटे हुएये रैपर सिटी कॉरडीनेटर के पास जाते है और वहां से इनको रोड बनाने, सीमेंट बनाने और वेस्ट टूएनर्जी प्लांट में भेज दिया जाता है। सफाई बैंक की सिटी कॉर्डिनेटर मनीषा सैनी का कहना है कि अगर हर कोई अपने घर से निकने वाले प्लास्टिक वेस्ट की जिम्मेदारी ले ले तो हम कुछ ही सालों में इस समस्या से बाहर आ सकते हैं।



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