जीएसटी काउंसिल की बैठक

जीएसटी काउंसिल की बैठक में ऑटो और एफएमसीजी सेक्टर को मिल सकती है राहत


गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) काउंसिल 5 प्रतिशत के स्लैब में फेरबदल कर सकती है। साथ ही, वह ऑटो, बिस्किट - 20 सितंबर और रोजमर्रा के की बैठक में इस्तेमाल में काम आने वाली चीजों यानी दरें कम एफएमसीजी गुड्स की दरों में 20 सितंबर की मीटिंग में कटौती कर सकती है। सूत्रों ने बताया कि आर्थिक विकास दर तेज करने के लिए जीएसटी स्ट्रक्चर में ये बदलाव किए जाएंगे। इस मामले से वाकिफ एक अधिकारी ने बताया, 'इन प्रस्तावों को काउंसिल के सामने रखा जाएगा।' राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों वाली फिटमेंट कमेटी की पिछले हफ्ते बैठक हुई थी, जिसमें ऑटो सेक्टर के लिए टैक्स की दरों में कटौती के आमदनी पर संभावित असर के बारे में चर्चा हुई।


दर 18 फीसदी करने की मांग


अगले हफ्ते गोवा में जीएसटी काउंसिल की बैठक हो रही है, जो इस पर आखिरी फैसला करेगी। ऑटो सेक्टर पैसेंजर वीइकल्स (कारों) पर जीएसटी की दरों को अभी के 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने की मांग कर रहा है। तीन तिमाही से कंपनसेशन सेस 28 हजार करोड़ रु.: सूत्रों का कहना है कि जून तिमाही में कम्पनसेशनसेस 28 हजार करोड़ रुपए का रहा। अगर बाकी तीन तिमाहियों में भी यह आंकड़ा इतना ही रहता है तो यह पूरे वित्त वर्ष में यह 84 हजार करोड़ रुपए हो जाएगा। हालांकि, पिछले पांच महीनों की आमदनी को देखते हुए बची हुई अवधि में 58,200 करोड़ रुपए का सेस मिलने की उम्मीद है। अगस्त में गाडियों की बिक्री घटीः अगस्त में सभी सेगमेंट में गाड़ियों की बिक्री 23.55 प्रतिशत कम हुई थी। इनमें कार और दोपहिया की बिक्री में पिछले महीने भी गिरावट जारी रही। सरकार से कंजम्पशन बढ़ाने के लिए टैक्स की दरों में कटौती की मांग की जा रही है ताकि आर्थिक सस्ती और न गहराए। 20 सितंबर की जीएसटी काउंसिल की बैठक में गाड़ियों पर टैक्स की दरों में कटौती से आमदनी में होने वाली कमी का कुछ बोझ राज्यों से भी उठाने को कहा जा सकता है। 12 और 18 के स्लैब को मिलाने की मांग : इसकी भरपाई के लिए 5 प्रतिशत के स्लैब में फेरबदल या स्लैब रेट में बढ़ोतरी पर भी गौर किए जाने की संभावना है। कुछ राज्य सरकारों ने 12 और 18 प्रतिशत के स्लैब को मिलाने की मांग की है। उनका कहना है कि यह बड़ा रिफॉर्म होगा। 


भारत की जीडीपी से बहुत कमजोरः आईएमएफ


वाशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) का मानना है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार उम्मीद से ज्यादा कमजोर है। आईएमएफ के प्रवक्ता गैरी राइस ने बृहस्पतिवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार के उम्मीद से ज्यादा कमजोर रहने की बड़ी वजह नियाम-कायदे को लेकर अनिश्चितता तथा कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में नरमी का लम्बा खिंचना है। हालिया आधिकारिक आंकडों के अनुसार, भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2019-20 की पहली तिमाही में कम होकर पांच प्रतिशत पर आ गयी। यहछह साल से अधिक का निचला स्तर है। राइस ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर का परिदृश्य नकारात्मक है। उन्होंने हालिया जीडीपी आंकड़ों के बारे में कहा कि आईएमएफ देश में आर्थिक स्थिति की निगरानी करेगा।



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