विश्व में बढ़ा भारत का कद

हाउडी मोदी से विश्व में बढ़ा भारत का कद 


हाउडी मोदी कार्यक्रम से भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय रिश्ते को नई गरमाहट मिली है। अमेरिकी शहर ह्यूस्टन में पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिख समुदाय, कश्मीरी पंडित और बोहरा समुदाय से मिलकर भारतीय एकजुटता का संदेश दिया। अनुच्छेद 370 में बदलाव के बाद नया कश्मीर बनाने की बात पीएम ने कही है। निश्चित ही पीएम विश्व में बसे भारतीयों व विश्व समुदाय को आश्वस्त करने चाहते हैं कि कश्मीर सबकुछ ठीक है और सरकार वहां विकास के प्रति प्रतिबद्ध है। अमेरिकी 17 वैश्विक ऊर्जा कंपनियों के सीईओ से मिलकर पीएम ने उन्हें भारत में निवेश के लिए आमंत्रित किया हैभारत अपनी अधिकांश ऊर्जा जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर है। भारत सौर ऊर्जा समेत वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से काम कर रहा है। भारत पेट्रो पर अपनी निर्भरता कम करने की सोच के तहत ऊर्जा के नए विकल्पों को बढ़ावा देने की दिशा में नीतिगत स्तर पर बढ़ रहा है। अर्थव्यवस्था के लिए ऊर्जा की पर्याप्त आपूर्ति जरूरी है। इस हिसाब से अमेरिकी सीईओ संग पीएम की बैठक महत्वपूर्ण है। हाउडी मोदी कार्यक्रम का कूटनीतिक महत्व बहुत अधिक है। अनुच्छेद 370 में बड़े बदलाव के बाद से जिस तरह पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और वैश्विक मंच पर भारत को बदनाम करने की असफल कोशिश में जुटा हुआ है, उसको देखते हुए भारत का कूटनीतिक किलेबंदी करना भी जरूरी है। दो-तीन दिन बाद संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन शुरू हो रहा है, जिसमें पाक पीएम इमरान खान भी शिरकत कर रहे । वे वहां कश्मीर मुददे पर ही बात करेंगे। हालांकि कश्मीर पर भारत को यूएन समेत वैश्विक समर्थन मिला है, इसलिए इमरान को भाव नहीं मिलने वाला है। अमेरिका पहुंचने पर पाक पीएम का फीका स्वागत संकेत दे दिया है। चूंकि ट्रंप अपनी नीति पर अटल नहीं रहते हैं, इसलिए उन्हें बांधकर रखना भी भारत के लिए जरूरी है। यूएन सममेलन में सबकुछ भारत के मुताबिक हो जाए तो कश्मीर पर पाक के रोते रहने का अर्थ नहीं रह जाएगा। हाल में ट्रंप के एकतरफा फैसले से भारत व यूएस के ट्रेड प्रभावित हुए हैं। भारत को मिले जीएसपी दर्जे को यूएस ने खत्म किया, एच-1बी वीजा को लेकर यूएस सख्त है, जिससे भारतीयों पर असर पड़ा है। यूएस ने भारत से इस्पात व एल्युमिनियम के आयात पर ड्यूटी बढ़ा दी। जवाब में भारत ने भी बादाम समेत कई अमेरिकी सामान पर शुल्क में इजाफा कर दिया। ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध के बाद तेहरान से नई दिल्ली के कच्चे तेल नहीं खरीदने का अमेरिकी दबाव भी भारत को रास नहीं आया। भारत चाहता था कि ईरान से तेल आपूर्ति होती रहे, लेकिन अमेरिकी हठ के चलते भारत को ईरान से तेल आयात बंद करना पड़ा। यूएस राष्ट्रपति की ओर से कश्मीर पर मध्यस्थता की पेशकश करना और पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर झूठ बोलना भी भारत को रास नहीं आया था। इन सब कारणों के चलते भारत और अमेरिका के रिश्तों में खटास बढ़ने लगी थी। हालांकि पीएम मोदी अमेरिका यात्रा कर और एक सप्ताह में दो बार ट्रंप से मिलकर दोनों मुल्कों की खटास का मिटा दी। अब ह्यूस्टन में हाउडी मोदी कार्यक्रम से दोनों मुल्क और करीब आएंगे। ऐसा पहली बार हुआ कि इतने बड़े किसी सार्वजनिक इवेंट को दो देशों के राष्ट्र प्रमुखों ने संबोधित किया। ट्रंप भी इसका राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं। अमेरिका में बसे भारतीयों का झुकाव डेमोक्रेट की तरफ , ट्रंप रिपब्लिकन से आते हैं, इसलिए वे भारतीयों को रिझाना चाहते हैं। अगले साल अमेरिका में चुनाव है। ट्रंप व मोदी के मंच साझा करने से भारत का वैश्विक कद और बढ़ेगा और हम कूटनीतिक रूप से और प्रखर होंगे। पीएम इसके बाद चीन की यात्रा पर जाने वाले हैं, वहां चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ शिखर बैठक की तैयारी शुरू है। मोदी हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पतिन से मिले हैं। भारत अमेरिका, रूस व चीन के साथ संतुलन बना कर चल रहा है। आने वाले वक्त में भारत की वैश्विक भूमिका और बढ़ेगी


Featured Post

 मध्यवर्गीय परिवारों का हाल किसी से छुपा नहीं है सरकारें आती हैं जातीं है परन्तु मध्यवर्गीय परिवारों कि हालत आज भी जस कि तस बनीं हुईं हैं इस...