स्वच्छता के प्रति बदला लोगों का दृष्टिकोण

स्वास्थ्य का सम्बन्ध स्वच्छता से अनिवार्य रूप से जुड़ा हुआ है। जहाँ स्वच्छता है, वहीं बेहतर स्वास्थ्य है, और जहाँ बेहतर स्वास्थ्य है, वहीं विकास और प्रगति भी है, क्योंकि स्वच्छता, विकास और सामाजिक परिवर्तन तीनों का आपस में घनिष्ठ सम्बन्ध है। स्वास्थ्य और स्वच्छता के स्तर से ही एक विकसित समाज की पहचान होती है। एक स्वस्थ समाज के सदस्य ही एक बेहतर मानव संसाधन हो सकते हैं और राष्ट्र के विकास में सहयोगी भी। कोई भी समाज, जहाँ के लोग गन्दगी में रहते हों और स्वास्थ्य के स्तर पर कमजोर हों उन्हें विकसित या सभ्य नहीं कहा जा सकता। इन तथ्यों के परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया। उन्होंने अब तक सरकारों द्वारा उपेक्षित रहे ‘सफाई' जैसे विषय को जिस तरह सभी कार्यकलापों का केन्द्र बिन्दु बना दिया, उससे बृहत्तर आबादी को यह समझाने में मदद मिली कि तरक्की के लिए स्वच्छता बहुत जरूरी है, क्योंकि यदि समाज में स्वास्थ्य का स्तर बेहतर नहीं होता है तो का स्तर बेहतर नहीं होता है तो सरकार को राजस्व का एक बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य सुविधाओं पर व्यय करना पड़ता है। सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश को स्वच्छता की दिशा में गतिमान करके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री के इस अभियान को अर्थवत्ता प्रदान की। जब से योगी सरकार ने कामकाज संभाला है, तभी से स्वच्छ उत्तर प्रदेश, स्वस्थ उत्तर प्रदेश के संकल्प को मजबूती मिली है। मुख्यमंत्री ने पूर्ण सफाई के संकल्प को साकार करने के लिए खुद झाड़ उठा ली। उनकी इस पहल ने जनमानस पर जादू-सा काम किया। उनकी यह पहल समाज में प्रतिमान और आदर्श के रूप में स्थापित हुई। इसने लोगों में यह भाव जागृत किया कि सफाई कोई दोयम दर्जे का कार्य नहीं है। अगर मुख्यमंत्री कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं? 'झाड़ लगाया तो लोग क्या कहेंगे' यह हिचक दूर हुई और लोग सफाई को आदत के रूप में स्वीकार करने लगे। मुख्यमंत्री की प्रेरणा से उनके मंत्रिमण्डलीय सहयोगियों ने भी अपने-अपने विभागीय कार्यालयों व परिसरों की सफाई करायी। निकायों ने सफाई को प्राथमिकता देनी शुरू की। अफसरों ने सरकार की मंशा समझकर और जनता ने स्वप्रेरणा से सफाई को आन्दोलन बना दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि राज्य सरकार के प्रयासों और जनभागीदारी के चलते डेढ़ साल में अब तक डेढ़ करोड़ से ज्यादा शौचालय बनवाये जा चुके हैं। इसके साथ ही 71,384 गांव और 621 नगर निकाय खुले में शौच से मुक्त घोषित किये जा चुके हैं। स्वच्छता के अभाव के कारण होने वाली बीमारियों के चपेट में आने के खतरे को महसूस करते हुए भारत सरकार ने 'स्वच्छ भारत अभियान' के जरिये देश को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) करने का लक्ष्य 2019 तक के लिए निर्धारित किया है, लेकिन उत्तर प्रदेश उससे पहले ही यह गौरव हासिल करने वाला पहला राज्य बनने जा रहा है। इसके पीछे की ताकत बनी है- मुख्यमंत्री योगी की साफ दृष्टि, ठोस कार्ययोजना और उसके क्रियान्वयन के प्रति सरकार का समर्पण। इस कार्ययोजना के तहत व्यक्तिगत, सामूहिक और सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है। ग्राम पंचायतों के माध्यम से ठोस एवं तरल ग्राम पंचायतों के माध्यम से ठोस एवं तरल कचरा प्रबन्धन के जरिये गाँवों को स्वच्छ रखने पर जोर दिया गया है। जरूरी बुनियादी ढाँचा तैयार करते हुए डिलीवरी व्यवस्था सशक्त बनायी गयी है। शासन के सभी अंगों और जनता को शामिल करते हुए सफाई के प्रति व्यापक जागरूकता अभियान चलाये जा रहे हैं। इसका नतीजा यह हुआ है कि खुले में शौच से मुक्ति के लिए उत्तर प्रदेश सरकार शौचालय बनवाने के लक्ष्य के करीब पहुँच गयी है। ऐसा इसलिए सम्भव हो सका। क्योंकि समाज के सभी लोगों ने इस प्रवृत्ति को आत्मसात किया और समाज में इसके प्रति जनचेतना बदली। जिस प्रकार प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छता अभियान के लिए अपने ‘नौ दूत' या 'नौ रत्न' बनाये, उसी तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अक्षय कुमार को प्रदेश में सफाई का एम्बेसडर बनाया। इसका लोगों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ा। लोगों ने अपने चहेते कलाकार को झाड़ उठाते, सफाई करते देखा तो वे भी ऐसा करने के लिए प्रवृत्त हुए। इसके अलावा भी समाज में ऐसे बहुत से लोग हैं, जो लोगों को लगातार प्रेरित कर सकते हैं। उनमें से स्वच्छता जागरूकता के क्षेत्र में कार्य करने वाले चुनिन्दा लोग जिला व मण्डल स्तर पर स्वच्छता दूत बनाये गये। इनके कार्यकलापों से प्रेरणा लेकर समाज ने खुद ही स्वच्छता को सामाजिक मूल्य की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है। चूंकि समाज के सभी वर्गों के लोग मिलकर ऐसा कर रहे हैं, इसलिए समाज में यह एक परम्परा का रूप लेती जा रही है, जो सामाजिक मूल्य के रूप में अन्ततः लोगों की आदत बन जायेगी और उससे अलग होना सम्भव नहीं हो पायेगा और 'स्वच्छ भारत' के एक प्रमुख हिस्से के रूप में स्वच्छ उत्तर प्रदेश, स्वस्थ उत्तर प्रदेश की मुहिम सफल होकर ही रहेगी। 


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