हताशा में सारे कड़वे सच कबूल रहे इमरान खान
कश्मीर पर पाकिमलाकन कोई उसकी है। ऐसे में कोई निया का शायद ही कोई ऐसा मंच हो जहां कश्मीर मसले पर पाकिस्तान को मुंह की न खानी पड़ी हो। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय करने के भारत सरकार के फैसले से बौखलाया पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र से लेकर अमेरिका तक की शरण में जा चुका है, लेकिन कोई उसकी सुनने को तैयार नहीं। दरअसल, कश्मीर पर पाकिस्तान के प्रॉपेगैंडा दुनिया समझ चुकी है। ऐसे में कोई भी देश उनकी सुन नहीं रहा है। इमरान खान मुस्लिम दांव चलने की कोशिश भी कर चुके हैंअमेरिकी, यहूदी, यूरोपियन तो दूर मुस्लिम देशों ने भी उन्हें न केवल अनसुना कर दिया, बल्कि इमरान खान को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपब्दों को प्रयोग न करने की हिदायत भी दे डाली। चौतरफा हताश और निराश इमरान खान अब एकएक करके वो सारे सच कबूल रहे हैं, जो दशकों से भारत दुनिया को बताता रहा है। इमरान ने कबूला है कि पाकिस्तानी फौज और उनके देश की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई ने अल कायदा एवं अन्य आतंकी समूहों को अफगानिस्तान में लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया था। यही नहीं पाकिस्तान आर्मी और आईएसआई के संबंध अल कायदा एवं अन्य आतंकी समूहों से थे। ओसामा बिन लादेन के नेतृत्व वाले आतंकी संगठन अल कायदा ने ही अमेरिका में 9/11 हमले को अंजाम दिया था। इमरान खान ने यहां तक कह डाला कि आईएसआई ने दुनियाभर के मुस्लिम देशों से लोगों को बुलाकर ट्रेनिंग दी थी, ताकि वे सोवियत यूनियन के खिलाफ जेहाद कर सकें। इससे पहले इमरान खान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने यह सच भी कबूल चुके हैं कि वर्तमान में पाकिस्तान में लगभग 40,000 आतंकी सक्रिय हैं, जो दहशत फैलाते रहते हैं। अब प्रश्न यह उठाता है कि बात-बात पर भारत को परमाणु बम की धमकी देने वाले पाक प्रधानमंत्री इमरान खान अचानक ये सारे सच स्वीकार क्यों कर रहे हैं। इसका सीधा और सटीक जवाब है कि उन्हें विश्व बिरादरी में भारत की ताकत का अंदाजा हो चुका है। इसके संकेत इमरान के इस वक्तव्य से ही मिलते हैं, जिसमें उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ युद्ध नहीं लड़ सकता, क्योंकि पूरी दुनिया भारत के साथ खड़ी है। हाल ही में टेक्सास के ह्यूस्टन में आयोजित हाउडी मोदी में डोनाल्ड ट्रंप ने भी 50 हजार से अधिक अमेरिकी-भारतीयों को मोदी-मोदी का जयघोष करते देखा है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना सीधे शब्दों में कहा कि जो लोग अपना देश नहीं संभाल पा रहे, वे भारत के अंदरूनी मामलों में दखल देने का प्रयास कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी के इस कथन पर न केवल पूरा स्टेडियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा, बल्कि डोनाल्ड ट्रंप ने इसे गंभीरता से लिया। इसके बाद पाक प्रधानमंत्री इमरान खान की अमेरिका में अगवानी करने के लिए कोई अमेरिकी अधिकारी तक नहीं पहुंचा। हाउडी मोदी कार्यक्रम का यह असर हुआ कि ट्रंप ने इमरान खान के सामने ही नरेंद्र मोदी को आतंक के खिलाफ लड़ने में सक्षम नेता बताया। केवल इतना ही नहीं उन्होंने इमरान को यह सीख भी दी कि पाकिस्तान के पड़ोसी बहुत दोस्ताना हैं। ट्रंप ने बार-बार कश्मीर का प्रश्न पूछने वाले एक पाकिस्तानी पत्रकार को न केवल डांट दिया बल्कि इमरान खान को भी कह दिया कि ऐसे पत्रकार लाते कहां से हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति का यह व्यवहार इमरान खान के लिए स्पष्ट संकेत था कि कश्मीर मामले पर अमेरिका भारत के साथ है। अब हताश में इमरान सारे सच कबूल रहे हैं, लेकिन भारत को केवल इससे संतुष्ट नहीं हो जाना चाहिए। सुरक्षा को लेकर और ज्यादा मस्तैद रहना होगा, क्योंकि खीझ में पाकिस्तान कोई नापाक हरकत भी कर सकता है। सच यह है कि जम्मू-कश्मीर में ज्यों-ज्यों विकास की प्रक्रिया तेज होगी, पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी बेनकाब होता जाएगा
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