विश्व शक्ति बन रहा भारत

विश्व शक्ति बनने की बात बरसों से रह रहकर उठती रही है। लेकिन कुछ बरस पहले तक यह एक सपना ही था, लेकिन 22 सितम्बर को अमेरिका में प्रधानमंत्री मोदी की विशाल जनसभा ने तो इस आशंका को एक झटके में समाप्त करके, सभी को दिखा दिया कि यह सपना देर सवेर से नहीं बस अब सच होने को ही है। ___ भारत ने विश्व शक्ति बनने की राह में अपना पहला मजबूत कदम ह्यूस्टन में रख दिया है। यह एक ऐसा सच है जिसे पूरी दुनिया ने अपनी खुली आंखों से देखा है। भले ही कुछ गिने चुने खास लोग हमारे इस मधुर सत्य को स्वीकार करने से डरें, लेकिन यह तय है कि ह्यूस्टन में लहराई भारत की पताका अब पूरे विश्व तक पहुंच गई है। सभी भारतियों को इस बात पर गर्व होना चाहिए कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अब एक बार फिर वह सब कर दिखाया है, जिसकी कल्पना भी असहज थी। यूं जब सन 2014 में देश के प्रधानमंत्री के रूप में मोदी ने सत्ता संभाली और उन्होंने अपने पहले शपथ समारोह और उसके बाद से जिस तरह विदेश नीति को नए रंग देने शुरू किए उससे भी लगने लगा था कि शायद कभी यह सपना पूरा हो सके। हालांकि तब देश में विपक्ष के कई नेता इस बात पर यह कहते थे कि जिस मोदी को विदेश नीति का जरा भी अनुभव और समझ नहीं वह विश्व में भला अपना डंका कैसे बजवा पाएगा? जो व्यक्ति पहले कभी सांसद भी न रहा हो, जिसे सिर्फ एक राज्य गुजरात के मुख्यमंत्री होने का अनुभव है, वह अपने गुजरात मॉडल को देश में तो चाहे लागू कर भी ले लेकिन विदेश नीति के मामले में मोदी गच्चा खा जाएंगे, लेकिन मोदी ने अपनी विदेश नीति और कूटनीति से जिस तरह अपने नाम और देश की पताका विश्व में फहरा दी है, उससे अच्छे-अच्छे गच्चा खा गए हैं। सभी हैरान हैं कि आखिर मोदी में ऐसा क्या है जिसकी दुनिया दीवानी हो गई है। अपने नाम, अपनी बात और अपने जादू की झलक यूं तो मोदी अमेरिका के न्यूयॉर्क में मेडिसन स्कवेर के सम्बोधन में पहले भी दिखा चके थे। उसके बाद ब्रिटेन, कनाडा, आस्ट्रेलिया, इजरायल और अरब देशों में पीएम मोदी की लोकप्रियता के अनेक नजारे देखने को मिले है, लेकिन ह्यूस्टन के एनआरजी स्टेडियम में मोदी ने अपने नाम और भारत का जो झंडा गाडा है वह पिछली तमाम उपलब्धियों से बड़ा है। बड़ी बात रही ही कि पीएम मोदी के लिए आयोजित इस हाउडी मोदी कार्यक्रम में अमेरिकन राष्ट्रपति ट्रम्प ने पहुंचकर वह किया जो पहले किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने नहीं किया। उससे भी बड़ी बात यह रही कि विश्व के सर्वाधिक शक्तिशाली देश अमेरिका में वहां के राष्ट्रपति हमारे पीएम मोदी के सामने बौने नजर आए। उनके हावभाव, उनकी बॉडी लेंगवेज़ और उनकी सभी बातों से साफ प्रतीत होता था कि वह मोदी के आगे नतमस्तक से हैं। ह्यूस्टन के एनआरजी स्टेडियम का वह नजारा कभी भुलाया नहीं जा सकेगा, जिसमें मंच पर मोदी भाषण दे बढ़ती रहे हैं और ट्रम्प उनके पीछे खड़े हैं। मोदी अपने बारे में, अमेरिका के बारे में और ट्रम्प के बारे में काफी देर तक बहुत कुछ बोलते रहे, लेकिन इस दौरान ट्रंप कभी बेहद शांत, कभी कुछ सकुचाये से और कभी हंसते मुस्कुराते खड़े रहे। पचास हजार से अधिक लोगों से खचाखच भरे स्टेडियम में मोदी के प्रति जो दीवानगी थी उससे ट्रंप इतने अभिभूत थे कि उन्हें सहज विश्वास नहीं हो रहा हो कि उनके अपने देश में भारत का प्रधानमंत्री इतना लोकप्रिय है। यह ठीक है कि वहां मौजूद अधिकांश लोग भारतीय मूल के थे, लेकिन वे अमेरिकन नागरिक भी थे, उनके सामने अमेरिका का सर्वशक्तिशाली व्यक्ति, देश का राष्ट्रपति भी खड़ा था। स्टेडियम के हर कोने से सिर्फ एक ही आवाज़ गूंज रही थी मोदी-मोदी-मोदी। ट्रंप वहां ढेड़ घंटे से भी ज्यादा मौजद रहे। मंच पर भी और स्टेडियम में दर्शकों के बीच भी, लेकिन एक बार भी वहां ट्रंप-ट्रंप की गूंज सुनाई नहीं दी। यहां तक अपने सम्बोधन के बाद जब मोदी मंच से उतरकर दर्शकों के साथ बैठे डोनाल्ड ट्रंप के पास पहुंचे, तब तो हालात ऐसे बन गए कि ट्रम्प की सुरक्षा में जुटे सीक्रेट सर्विसीज के लोग भी नहीं समझ पाए कि यह क्या हुआ। हालांकि मोदी तो देश हो या विदेश अक्सर अपने सम्बोधन के बाद वहां उपस्थित जनसमूह के अभिवादन के लिए पूरे स्टेडियम का भी चक्कर लगा लेते हैं, लेकिन एनआरजी स्टेडियम में अचानक मोदी के मन में आया कि क्यों न ट्रंप को भी इस परिक्रमा में अपने साथ ले लिया जाए। ट्रम्प मोदी की बात पर तुरंत तैयार हो गए। यह देख सीक्रेट सर्विसीज के लोग भी सकते में आ गए कि यह क्या हो गया। दिलचस्प बात यह थी कि मोदी-ट्रंप की इस परिक्रमा के दौरान भी सिर्फ मोदीमोदी-मोदी के नारे लगते रहे। ___ यूं देखा जाए तो नवंबर 2015 में लंदन के वेम्बले स्टेडियम में आयोजित मोदी की एक ऐसी ही जनसभा में ब्रिटेन के तत्कालीन पीएम डेविड कैमरन भी मोदी के भाषण के दौरान काफी देर तक मंच पर उनके पीछे खड़े रहे थे। ब्रिटेन के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति का भी अपने ही देश में भारतीय प्रधानमंत्री मोदी के पीछे खड़ा होकर उन्हें सुनना दर्शाता है कि मोदी ने भारत को आज किस शिखर पर पहुंचा दिया है। जो लोग करीब 200 साल तक भारत के लोगों को गुलाम बनाकर भारत पर राज करते रहे या वह अमेरिका जिसने अपने सामने न भारत को कुछ समझा और न रूस या चीन को। अब वे शक्तियां भारत के सामने हाथ बांधे खडी हैं। मोदी के इस करिश्मे और भारत की ताकत को निसंदेह पूरे विश्व ने देखा होगा। अमेरिकन राष्ट्रपति मंच से पूरी दुनिया के सामने पीएम मोदी से पूछते हैं कि क्या आप मुझे भारत आने का निमंत्रण देंगे? जबकि कभी भारत अमेरिकन प्रेसिडेंट को अपने यहां बुलाने के लिए कई बार गुहार लगाता था। अमेरिका या चीन के राष्ट्रपति यदि नेहरू-गांधी के समय में भारत आए तो उनके सामने हम अपनी पलकें बिछा देते थे, लेकिन मोदी ने चीन के प्रेसिडेंट को भी दिल्ली की जगह पहले गुजरात बुलाकर और फिर वहां उन्हें अपने साथ झूले पर झूलाकर यह संकेत दे दिया था। अब भारत किसी के सामने भी आंख झुकाकर नहीं आंखें मिलाकर बात करेगा। पीएम मोदी ऐसा ही लगातार कर रहे हैं। ह्यूस्टन से चंद दिन पहले की ट्रंप के साथ मोदी की फ्रांस की वह मुलाक़ात भी बहुत कुछ कहती है। जिसमें मोदी ने ट्रंप का हाथ एक झटके में नीचे कर, एक जोरदार थापी के साथ अपना हाथ, उनके हाथ के ऊपर रख दिया था। यदि ध्यान से देखें तो यह सब भी यह संकेत देता है कि आज भारत किसी से दबने वाला नहीं। वह अब सभी से ऊपर पहुंच रहा है। विश्व शक्ति बन रहा है।



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