जल्द देश की सलाखों में होंगे आर्थिक भगौड़े

 पैसा डकारकर विदेश भागने वाले आर्थिक अपराधियों को वापस लाने के लिए सरकार व जांच एजेंसियों द्वारा किए गए प्रयासों के सार्थक परिणाम आने लगे हैं। पहली सफलता तो तब ही मिल गई थी जब किंगफिशर के मालिक विजय माल्या को बिट्रेन से भारत लाने का रास्ता खुला था। लंबी न्यायिक प्रक्रिया और कानूनी पेचिदगियों की वजह से भले ही देर लगे, लेकिन बिट्रेन ने प्रापण को हरी झंडी देकर रास्ता खोल दिया है। लंदन की मेट्रोपॉलिटन अदालत में मुकदमा हारने के बाद माल्या को भारत प्रापण पर बिट्रेन के गृहमंत्री ने भी हस्ताक्षर कर दिए हैं। कभी भारतीय जेलों की दुर्दशा तो कभी जान को खतरा बताकर माल्या मामले को लंबा खींचने में तो कामयाब हुआ, लेकिन अंततः भारतीय जांच एजेंसियों की मेहनत रंग लाई और अदालत ने उसे वापस भारत भेजने को मंजूरी दे दीअब वो बार-बार भारत सरकार से पूरे पैसे वापस देने की गुहार लगा रहा है। भगौड़े आर्थिक अपराधियों की सूची में बैंकों के 7,500 करोड़ के कर्जदार विजय माल्या शीर्ष पर हैं। वहीं, पीएनबी घोटाले के आरोपी मेहल चौकसी 7,080 करोड़ और नीरव मोदी 6,498 करोड़ क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। 5,383 करोड़ के घोटाले में आरोपी स्टर्लिंग बायोटेक प्रमोटर चेतन संदेसरा, नितिन संदेसरा और दीप्तिबेन संदेसरा भी इसमें शामिल हैं। इनके अलावा हितेश नरेंद्रभाई पटेल, मयूरीबेन पटेल, आशीष सुरेशभाई, पुष्पेश बैद, आशीष जोबानपुत्र, प्रीति आशीष जोबानपुत्र, सन्नी कालरा, आरती कालरा, संजय कालरा, वर्षा कालरा, सुधीर कुमार कालरा, उमेश पारेख, कमलेश पारेख, नीलेश पारेख, विनय मित्तल, एकलव्य गर्ग, सब्य सेठ, राजीव गोयल, अलका गोयल भी आर्थिक भगौड़ों में शुमार हैं। अब बात आती है बड़े घोटालेबाजों में दूसरे स्थान पर आने वाले मेहुल चौकसी की। वो पंजाब नेशनल बैंक को चपत लगाने के बाद बाद एंटीगुआ में शरण लिए हुए हैं। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लगातार दबाव के बाद बृहस्पतिवार को एंटीगुआ के प्रधानमंत्री गेस्टन ब्राउन ने कहा कि सभी याचिकाओं के निपटारे के बाद मेहुल चौकसी को भारत भेज दिया जाएगा। उन्होंने साथ में यह भी जोड़ा कि चौकसी एक धोखेबाज व्यक्ति है और देश को उससे कोई फायदा नहीं हैगेस्टन ब्राउन के इस कथन से साफ है कि केंद्र सरकार के प्रयास सार्थक साबित हो रहे हैं। देश की संसद में ऐसे अपराधियों के खिलाफ कड़ा कानून बनाने के बाद आर्थिक रूप से बड़े देशों के समूह जी-20 के साझा घोषणा पत्र में यह उल्लेख किया जाना भारत की एक बड़ी जीत थी कि भगौडे आर्थिक अपराधियों को कोई देश संरक्षण नहीं देगा। हालांकि आर्थिक अपराध को अंजाम देने के बाद अपने देश से निकल कर किसी अन्य देश में शरण लेने वालों से दुनिया के तमाम देश परेशान थे, लेकिन पहली बार भारत ने ही इसे प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद विश्व बिरादरी ने भगौड़ों पर सख्ती दिखानी शुरू की है। प्रत्यार्पण में ज्यादा समय लेने वाले देशों में शुमार ब्रिटेन और एंटीगुआ जैसे देश भी इस पर जल्द फैसले ले रहे हैं। उम्मीद जगी है कि देश को चपत लगाने वाले जल्द ही सलाखों के पीछे होंगे, लेकिन इतने भर से संतोष कर लेना ठीक नहीं होगा। भारत नया कानून बनाकर धोखेबाजों के खिलाफ तो नकेल कस ही चुका है, जी-20 समूह को भी अहसास करवाया जाना चाहिए कि घोषणाओं के अमल में जब देरी होती है तो उसकी सामर्थ्य को लेकर सवाल ही उठते हैं। समूह के देश अधिक तत्परता दिखाएंगे तो धोखेबाजों से जल्द निपटा जा सकेगा।


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