कल्पवृक्ष का मंदिर

समुद्र मंथन से निकले कल्पवृक्ष का मंदिर


उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में महाकालेश्वर का एक मंदिर स्थित है जिसके परिसर में कल्पवृक्ष लगा हुआ है। मंदिर के आचार्य गणेश आनंद के अनुसार, कल्पवृक्ष के बारे में बताया जाता है कि सतयुग में समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों में कल्पवृक्ष भी समुद्र से निकला था। इस पेड़ की खास बात ये है कि इसकी जड़ ऊपर होती है और ऊपरी हिस्सा ज़मीन में होता है। पूरे देश में कल्पवृक्ष सिर्फ 7 स्थानों पर ही लगा है और आठवां स्थान है मुरादाबाद का महाकालेश्वर मंदिर। कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने इसे स्वर्ग से लाकर पृथ्वी पर स्थापित किया था। इस कल्पवृक्ष पर कलावा बांधने और जल चढ़ाने से लोगों की हर मन्नत पूरी होती है। यह वृक्ष हिंदुस्तान में सिरफ़ हैदराबाद, गोलकुंडा किला, राष्ट्रपति भवन, प्रयागराज इलाहाबाद, कोलकाता और हरिद्वार में लगा हुआ है। समुद्र मंथन में देवताओं को 14 रत्नों के साथ यह कल्पवृक्ष भी मिला था। मान्यता है कि इस कल्पवृक्ष पर कलावा बांधने और जल चढ़ाने से लोगों की हर मन्नत पूरी होती है। 7 बीघे में बना है यह मंदिर- इस मंदिर का निर्माण कराने वाले ट्रस्टी महेश चंद अग्रवाल का कहना है कि 7 बीघे में बने इस महाकालेश्वर मंदिर में भगवान शिव के पसंदीदा पेड़ भी लगाए गए हैं और यहां जल्द ही तिरुपति बालाजी के रूप में भी काफी बड़ा मंदिर स्थापित किया जा रहा है। 



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