मुझे पुरस्कार मत दो

मुझे पुरस्कार मत दो, पर कोच को सम्मानित करो


भारतीय मुक्केबाज अमित पंघाल (52 किग्रा) का कहना है कि उन्हें व्यक्तिगत सम्मान नहीं चाहिए लेकिन वह चाहते हैं कि उनके पूर्व कोच अनिल के योगदान धनकड को सम्मानित से ही मैं किया जाए। एशियाई वह शनिवार को रूस खेलों और के एकातेरिनबर्ग में समाप्त एशियाई हुई विश्व चैंपियनशिप में चैंपियनशिप रजत पदक जीतने वाले जीत सका पहले भारतीय मुक्केबाज बने। वह एशियाई खेलों और एशियाई चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। अर्जुन पुरस्कार के लिए उनके की अनदेखी की गई क्योंकि 2012 में चिकन पाक्स के उपचार के लिए ली गयी लिए ली गयी दवाई से वह डोपिंग उल्लघंन कर बैठे थेडोपिंग परीक्षण में विफल होने के कारण उन पर एक साल का प्रतिबंध भी लगा थापंघाल ने कहा, 'मैं पुरस्कारों की परवाह नहीं करता लेकिन मुझे खुशी होगी अगर मेरे पूर्व कोच अनिल धनकड़ के नाम पर द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए विचार किया जाए। उन्होंने शुरुआती वर्षों में मुझे ट्रेनिंग दी और अगर वह नहीं होते तो मैं आज ऐसा मुक्केबाज नहीं होता। मैंने 2008 में मुक्केबाजी शुरू की थी और धनकड़ सर तब से मेरे लिए अहम बने रहे हैं। अब भी जब मझे किसी मामले में मार्गदर्शन की जरूरत होती है तो मैं धनकड़ सर के पास जाता हूं। उन्हें पुरस्कार मिलने का मतलब मुझे पुरस्कार मिलना होगा। बल्कि मुझे ज्यादा खुशी होगी।' पंघाल पिछले दो वर्षों से शानदार फार्म में पैंतालीस वर्षीय धनकड कभी भी किसी राष्ट्रीय टीम से नहीं जडे हैं लेकिन जब वह मुक्केबाज थे तो राष्ट्रीय स्तर के पदकधारी थे। उन्होंने अपने शिष्य के इस लगाव के बारे में कहा, 'मैं 2005 से उसे जानता हूं। मेरे लिए वह परिवार की तरह है। मैं उसके परिवार वालों से काफी करीब हूं और वह मेरे बच्चे की तरह ही है। भारतीय सेना के 23 वर्षीय नायब सूबेदार पंघाल पिछले दो वर्षों से शानदार फार्म में हैं। उन्होंने 49 किग्रा से 52 किग्रा में वजन वर्ग में खेलने का फैसला किया लेकिन इस बदलाव के बावजूद उनके प्रदर्शन पर कोई असर नहीं पड़ा। अब वह अगले साल फरवरी में चीन में होने वाले एशियाई ओलंपिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में भाग लेंगे।



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