पुलिस जता जब्त नहीं कर पाई

पुलिस जूता जब्त नहीं कर पाई, 26 साल बाद आरोपी बरी


करीब 26 साल पहले मारपीट के मामले में कथित तौर पर इस्तेमाल जूते को पुलिस ने बतौर साक्ष्य अपने कब्जे में नहीं लिया। अदालत ने पुलिस की इस चूक का लाभ आरोपी को देते हुए उसे बरी कर दिया। साकेत स्थित मेट्रोपोलिटन दियामजिस्ट्रेट अनुराग दास ने हाल ही में सिद्धांतों आरोपी को बरी करते हुए यह फैसला दिया। अदालत ने न्याय के नैसर्गिक सिद्धांतों का हवाला देते हुए कहा कि आरोपी की दोषसिद्धि को लेकर थोड़ा भी संदेह होने पर वह बरी होने का हकदार है। अदालत ने कहा कि पुलिस जांच के दौरान कथित तौर पर मारपीट में इस्तेमाल किए गए जूते को बरामद करने में विफल रही है। ऐसे में आरोपी राजकुमार बंसल को बरी किया जाता है। पुलिस द्वारा दर्ज मुकदमे के अनुसार राजकुमार पर अपने भाई विजय कुमार बंसल पर जूता पहन कर अपने पैर से हमला करने का आरोप था। 5 बिना किसी संदेह के आरोप को साबित करना अभियोजन पक्ष की जिम्मेदारी है और इसे हरहाल में किया जाना चाहिए। अभियोजन इसमें पूरी तरह से विफल रहा है। - अदालत की टिप्पणी यह है मामला अभियोजन पक्ष के अनुसार 4 नवंबर, 1993 को विजय कुमार बंसल की ओर से झगडे को लेकर शिकायत मिली थी। शिकायत पर ग्रेटर कैलाश थाना में शिकायतकर्ता के भाई राज कुमार बंसल के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। शिकायत में विजय ने कहा था कि घटना के दिन वह अपनी मां से संपत्ति के बंटवारे को लेकर बातचीत कर रहा था। उसी वक्त उनका भाई सीढी से नीचे आया और जता पहने ही अपनी लात से उन पर हमला कर दिया। इसके बाद पुलिस ने राजकुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था। तहत निपटारा हुआ उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालय के आदेश पर 20 वर्ष से अधिक समय से लंबित मामलों के निपटारे के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसी के तहत साकेत स्थित मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने 26 वर्ष पुराने इस मामले का निपटारा किया है। 



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