सख्तीः 

 सख्तीः रविदास मंदिर के पुनर्निर्माण प्रसंग की याचिका पर सवाल खड़े किए 


तुगलकाबाद वन क्षेत्र में संत रविदास मंदिर के पुनर्निर्माण की अनुमति के लिए दायर याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवारको सवाल उठाए। यह याचिका दो पूर्व सांसदों अशोक तंवर और प्रदीप जैन आदित्य ने दायर की है और मंदिर के उपहार में दी गई भूमि पर बने होने समेत कई तर्क दिए। इस मामले में 16 सितंबर को फिर सुनवाई होगी। बता दें, शीर्ष अदालत के निर्देश परइस मंदिरको दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने ढहा दिया था। न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने जानना चाहा कि शीर्ष अदालत के आदेशों पर ढहाए गए मंदिर के निर्माण की अनुमति के लिए संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका पर कैसे विचार किया जा सकता है। पीठ ने सवाल किया, इस मामले में अनुच्छेद 32 के तहत यह याचिका कैसेदायरहुई। हम इस पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। पीठ ने कहा कि आप उचित राहत के लिए शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री के पास जा सकते हैं। उपहार में दी गई भूमिपर बनाया गया था मंदिर ः पूर्व सांसदों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि आसपास के इलाके से अतिक्रमण हटाने के लिए शीर्ष अदालत के समक्ष वाद की सुनवाई के दौरान अनेक तथ्यों को छिपाया गया था। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने 1509 में निर्मित इस तोड़े गए संत रविदास मंदिर के बाहर लगाए गए पुलिस बैरिकेड पर बीते दिनों लोगों ने फूल मालाएं चढ़ाकर पूजा अर्चना की थी। 


2 अगस्त को दायर की थी याचिका


कांग्रेस के दो पूर्व सांसदों ने 2 अगस्त को शीर्ष अदालत में यह याचिका दायर कर संत रविदास मंदिर के पुनर्निर्माण की अनुमति देने का अनुरोध करते हुए कहा था कि यह पवित्र स्थान है और यहां पिछले पांच-छह सौ वर्षों से प्रार्थना होती आ रही थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि वे संत रविदास के अनुयायी हैं और नियमित रूप से इस स्थान पर प्रार्थना करते थे। मंदिर को गिराने का आदेश दिया जो तत्कालीन अफगान शासक सिकंदर लोदी द्वारा संत रविदास को उपहार में दी गई भूमि पर बनाया गया था। संतरविदासके छह करोड़सेज्यादा अनुयायीः सिंह ने कहा कि संत रविदास के छह करोड़ से भी ज्यादा अनुयायी हैं जिन्हें उस स्थल पर पूजा करने का मौलिक अधिकार है। उन्होंने कहा, मैं और कुछ नहीं बल्कि उसी स्थान पर मंदिर निर्माण करना चाहता हूं। पीठ शुरू में इस याचिका पर विचार के पक्ष में नहीं थी लेकिन बाद में उसने सिंह से कहा कि वह कानून के अनुरूप राहत खोजें। वरिष्ठ अधिवक्ता सिंह ने कहा कि उनके पास कोई अन्य राहत बची ही नहीं है, क्योंकि न्यायालय के आदेश से मंदिर ध्वस्त किया गया है। 16 सितंबरकोहोगी सुनवाई : शीर्ष अदालत ने याचिका को किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के बारे में कोई आदेश देने से इंकार कर दिया और कहा कि वह 16 सितंबर को इस मामले में फिर सुनवाई करेगी।



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