तीन महीनों में बाल अधिकार

तीन महीनों में बाल अधिकार हनन की पण हण पण, आई थी छह हजार शिकायतें: कानूनगो


राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कहा है कि देश के कई 'आकांक्षी जिलों' से उसे तीन महीनों में बाल अधिकारों के हनन की करीब छह हजार शिकायतें मिली हैं जिनमें ज्यादातर का निस्तारण कर दिया गया है। आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के मुताबिक आयोग आकांक्षी जिलों में पीठ लगाकर बाल अधिकारों के उल्लंघन के मामलों की सुनवाई कर रहा है जिसमें बच्चों के अधिकारों के हनन से जुड़ी शिकायतें बड़ी संख्या में आ रही हैं। इसकी शुरुआत 21 जून को तमिलनाडु के रामेश्वरम जिले से हुई है और अब तक 25 से अधिक जिलों में पीठ लगाई जा चुकी है। सुनवाई के NATIONAL COMMISSION FOR PROTECTION OF दौरान विभिन्न विभागों के अधिकारी और गैर सरकारी संगठनों के लोग भी होते हैं। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी, 2018 में आकांक्षी जिलों के बदलाव कार्यक्रम की शुरुआत की थी जिसका उद्देश्य देश के कम विकसित जिलों को शीघ्र और प्रभावी ढंग से बदलना है। इसी प्रयास के तहत नीति आयोग द्वारा देश में कुल 115 आकांक्षी जिलों की शिनाख्त की गई है। स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि और जल संसाधन, वित्तीय समावेशन और कौशल विकास और बुनियादी ढांचे के पांच विकास क्षेत्रों में 49 संकेतकों के आधार पर इन जिलों की सूची तैयार हुई है। कानूनगो ने बताया कि जिन मानकों के आधार पर आकांक्षी जिलों का चयन हुआ है उनमें से कई एनसीपीसीआर के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। मसलन, पोषण और शिक्षा। ऐसे में हम इन जिलों में बाल अधिकारों की स्थिति और बच्चों से जुड़ी योजनाओं, कार्यक्रमों एवं कानूनों की समीक्षा के लिए यह सुनवाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले तीन महीनों में करीब छह हजार शिकायतें हमारे पास आईं। ज्यादातर मामलों का निस्तारण कर दिया गया है और शेष मामलों को सबंधित विभागों एवं एजेंसियों के पास भेजा गया है। कानूनगो ने कहा कि अगले साल के मध्य तक सभी 115 आकांक्षी जिलों में पीठ लगाकर सुनवाई करने का काम पूरा हो जाएगा। एनसीपीसीआर के मुताबिक अलग अलग क्षेत्रों में सुनवाई के दौरान शिकायतें भी भिन्न प्रकार की आती हैं। मसलन, नक्सल प्रभावित बस्तर में गत 13 सितंबर को आयोजित सुनवाई में 390 शिकायतें आईं जिनमें शिक्षा के अधिकार, दिव्यांगता से जुड़ी योजनाओं, आंगनबाड़ी और कई अन्य विषयों की शिकायतें शामिल थीं। इसी तरह, सितंबर के पहले सप्ताह में अल्पसंख्यक बहुल मेवात में लगाई गई आयोग की पीठ के समक्ष लगभग 300 शिकायतें दर्ज हुई जिनमें से 110 शिकायतों का मौके पर निपटारा किया गया तथा शेष शिकायतों को आयोग के माध्यम से संबधित अधिकारियों को निपटान के लिए भेजा गया।


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