विसर्जन के दौरान दिखाई पर्यावरण फिक्र

नागरिकों ने विसर्जन के दौरान दिखाई पर्यावरण के प्रति फिक्र


ढोल नगाड़ों के साथ बप्पा को अगले साल जल्दी आने का न्योता देते हुए विदाई की गई। लोग 'गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ' गाते हुए बप्पा के अगले साल जल्द आने की कामना करते हुए विदाई कर तालाब में बने अस्थाई कुंड में विसर्जित कर आए। इसके पूर्व ताजियों को भी इसी तरह से विसर्जन किया गया था इन दोनों ही आयोजनों से इस बार जुड़े हुए लोगों में बेहद जागरूकता देखने को मिली जिन्होंने न केवल प्रशासन की नसीहत को माना बल्कि पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए भी नजर आए। 10 दिनों तक भक्तों पर कृपा की बारिश करने के बाद अनंत चतुर्दशी पर गणपति की विदाई हो गई है। गणेशोत्सव शहर की रौनक अलग ही नजर आई। भगवान गणपति को जिस श्रद्धा से स्थापित किया जाता है उसी भक्ति के साथ उनका विसर्जन किया जाता इसी बीच मोहर्रम का मौका होने के का शहर में ताजिए निकाले गए। बाद में उन्हें निर्धारित जलाशयों में विसर्जित किया गया इन दोनों ही आयोजनों के दौरान पहले की की तुलना में इस बार नजारे कुछ हटकर दिखाई दिए क्योंकि प्रशासन ने पर्यावरण संरक्षण के मध्य नजर तालाबों में मूर्तियों उतारिए करने की सलाह देते हुए तालाबों के समय भी अस्थाई कुंड बनाए थे। जहां लोगों ने विसर्जन भगवान गणेश की प्रतिमाओं को और हाजियों को प्रसारित किया बाद में नगर पालिका ने बड़ी आसानी से अस्थाई कुंड में मौजूद अवशेषों को आसानी से उठा लिया इस तरह से नागरिकों की सूझबझ और नगरपालिका की प्रतिबद्धता के चलते पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास होता दिखाई दिया। जबकि इसके पूर्व उत्साहित श्रद्धालु 20 तालाब में पहुंचकर प्रतिमा और कार्यों को करते थे। जिससे उनके अवशेषों को तालाब से बाहर निकालने में नगर पालिका को भी बहुत मशक्कत करनी पड़ती थी और पूरी तरह से कामयाबी नहीं मिलती थी। बाद में यही अवशेष तालाब के पानी को प्रदूषित करते थे। शहर में में बड़े पैमाने पर होने वाले गणेश विसर्जन के मद्देनजर जिला प्रशासन,पुलिस और नगर पालिका की ओर से खास इंतजाम भी किए गए हैं। जगह-जगह पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई अधिकारी और स्टॉफ द्वारा तालाबों पर मौजूद रहकर सभी व्यवस्थाओं का जायजा लिया। वहां पर अलग से विसर्जन स्थल तैयार किए गए थे और बैनर लगाकर श्रद्धालुओं को वादा किया गया था कि मूर्ति का विसर्जन यही करें, क्योंकि तालाब में गहराई होने के कारण लोगों का निर्धारित स्थल से ज्यादा भीतर पहुंचना खतरनाक हो सकता है इसलिए लकड़ी कि बलिया गाड़ कर पाबंदी कर दी गई थी उसके उस पर किसी को भी जाने की इजाजत नहीं दी गई इस पूरी प्रक्रिया के दौरान पुलिस और प्रशासन की नजरें तालाब में तैरने वालों पर लगी हुई थी वहीं पूरे आयोजन की वीडियोग्राफी भी कराई जा रही थी।


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