योगी का बहनों को तोहफा

योगी सरकार का ध्यान यह उनकी सकारात्मक एवं व्यापक सोच का द्योतक हैं। भले ही छह हजार रुपए वर्ष की धनराशि अपर्याप्त है। लेकिन प्रारंभ में यह मदद महिला को बेसहारा नहीं रहने देगी। इसके साथ ही श्री योगी ने ऐसी महिलाओं के शिक्षित होने पर उन्हें सरकारी नौकरियों में वरीयता देने और उनके बाल-बच्चों की निःशुल्क शिक्षा व्यवस्था करने का भी वादा किया है। ठीक यही सुविधाएं उन हिन्दू औरतों को भी दी जायेंगी जिनके पतियों ने उन्हें छोड़ कर अवैध रूप से दूसरी महिला के साथ रहने का । जुगाड़ लगा लिया है।


दैनिक समाचार, लखनऊ - मुस्लिम महिलाओं के लिये एक विडम्बना एवं अधिकार सम्पन्न बना सकेगा, जिनके सर पर त्रासदी बन गया थामुस्लिम पुरुषों द्वारा धर्म कल तक तीन तलाक की तलवार लटकी रहती के नाम पर जिस तरह 'इस्लामी तीन तलाक थी। इस समाज में शिक्षा की कमी की वजह प्रथा' का मजाक बनाकर एक ही झटके में से कानून बन जाने के बावजूद तीन तलाक हो तीन बार तीन तलाक लिखकर या बोल देने को रहे हैं। इससे जुड़े आंकड़े जारी किये गये हैं कि परंपरा बना दिया गया था उससे इस्लाम द्वारा पिछले वर्ष के दौरान तीन तलाक के 273 निर्धारित तलाक प्रक्रिया की ही धज्जियां उड़ मामले अकेले उत्तर प्रदेश में ही दर्ज हुए हैं। रही थीं और महिला समाज यह दर्द, त्रासदी एवं नारी को हाशिया नहीं, पूरा पृष्ठ चाहिए क्योंकि पीड़ा झेलने के लिए मजबूर हो रही थी, लेकिन नारी अपनी भीतर संपूर्णता को समेटे हुए जीवन तीन तलाक के खिलाफ सख्त दंडात्मक कानून की कठिनाइयों की राह पर अकेले आगे बढ़ते बनाये जाने से रोशनी मिलने के साथ-साथ यह हुए पूरा सफर तय कर देती है। ना माथे पर जायज सवाल खड़ा हो रहा था कि अपने पतियों शिकन, ना आंखों में शिकायत, बस होठों पर के खिलाफ ऐसे मामलों में कानून की शरण मधुर मुस्कराहट बिखेरते हुए धैर्य की मूर्ति-सी लेने वाली मुस्लिम महिलाओं का आर्थिक स्रोत प्रतीत होती है। भारत देश में नारी का स्थान क्या होगा जिससे वे अपना एवं अपने बाल- सदा से ही ऊंचा रहा है। सभी धर्म ग्रंथों में नारी बच्चों का भरण-पोषण कर सकें ? योगी का दर्जा श्रेष्ठ ही रहा है और नारी को देवी का सरकार का ध्यान इस ओर गया तो निश्चित ही दर्जा भी दिया है इस देश में। समय के साथयह उनकी सकारात्मक एवं व्यापक सोच का साथ नारी ने अपनी भूमिका हर जगह पर द्योतक हैं। भले ही छह हजार रुपए वर्ष की निभाई है। सीता ने संपूर्ण नारी जाति को धनराशि अपर्याप्त है। लेकिन प्रारंभ में यह मदद संस्कार व शालीनता की राह दिखाई तो रणक्षेत्र महिला को बेसहारा नहीं रहने देगी। इसके साथ में दानवों का दलन करने वाली दुर्गा भी बनी। ही श्री योगी ने ऐसी महिलाओं के शिक्षित होने सावित्री बनकर यमराज को भी अपना निर्णय पर उन्हें सरकारी नौकरियों में वरीयता देने और बदलने पर मजबूर कर दिया, तो युद्ध के मैदान उनके बाल-बच्चों की निःशुल्क शिक्षा व्यवस्था में झांसी की रानी बनकर पूरी नारी जाति को करने का भी वादा किया है। ठीक यही सुविधाएं अपने अंदर छिपी हुई असीम शक्ति को पहचानने उन हिन्दू औरतों को भी दी जायेंगी जिनके के लिए भी प्रेरित किया। लेकिन अब तक उसी पतियों ने उन्हें छोड़ कर अवैध रूप से दूसरी देश के मुस्लिम समाज में नारी की स्थिति महिला के साथ रहने का जुगाड़ लगा लिया है। दयनीय बनी हुई थी। मुस्लिम महिलाएं तो बस हिन्दू आचार संहिता के तहत दूसरा विवाह एक अबला-सी बन कर रह गयी, उन्होंने करने पर कठिन सजा का प्रावधान है और शायद धार्मिक स्थितियों के आगे समर्पण कर वित्तीय मदद का भी विधान है, लेकिन मुस्लिम दिया था लेकिन भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र महिलाओं के सन्दर्भ में ऐसा कोई कानूनी है, वहां के जन-जीवन में नारी-नारी के बीच प्रावधान नहीं था। तीन तलाक कानून की के भेद को समाप्त करने का जो वातावरण बना आलोचना करने वालों ने यह मुद्दा भी जोर-शोर है, उसे अभी और आगे बढ़ाना है। मुस्लिम से उठाया कि भाजपा सरकार ने तीन तलाक महिलाएं स्थितियों से समझौता नहीं, संघर्ष करे। निषेध जैसा कानून केवल मुस्लिम समाज में सामने लंबा संघर्ष है, रास्ता भी कठिन है, भय पैदा करने एवं उनके वोट हासिल करने के लेकिन संघर्ष सफल भी होगा और कठिनाइयों लिए बनाया है और इसका उद्देश्य उनके के बीच से रास्ता भी निकलेगा। आज जबकि पारिवारिक मामलों में दखलन्दाजी करने का हर आंख में रोशन है नये भारत का स्वप्न! नई है, जबकि ऐसा नहीं है। मुस्लिम महिलाओं के पीढ़ी हो या बुजुर्ग, सब चाहते हैं देश सार्थक मामले में भाजपा सरकार द्वारा कानून बनाना बदलाव की ओर बढ़े। इंसान-इंसान के बीच हो या योगी आदित्यनाथ द्वारा उठाया गया कदम बढ़ रही दूरियां खत्म हो, साम्प्रदायिक भेदभाव हर लिहाज से काबिले तारीफ है, एक सराहनीय, समाप्त हो। मोदी एवं योगी का यह संकल्प तभी ऐतिहासिक एवं मानवीय सोच से जुड़ा निर्णय है सफल होगा जब मुस्लिम महिलाएं स्वयं जागृत जो मुस्लिम समाज की उन महिलाओं को होगी। यदि नारी को वह नहीं मिल रहा है I


जिसकी वह अधिकारी है तो उसमें उसका स्वयं का दोष भी है। उसे उसका आसानी से हो रहा दुरुपयोग रोकना होगा, नारी को अपनी गरिमा को स्वयं पहचानना होगा। नारी को सनातन मर्यादा का निर्वाह करते हुए वर्तमान काल के अनुरूप ही अपने व्यक्तित्व का निर्माण करना होगा। उसे नारी होने का रोना छोड़कर स्वयं अपने उत्थान के लिए आगे बढ़ना होगा और नारी होने का लाभ शॉर्टकट से लेने की प्रवृत्ति भी छोड़नी होगी। मान्य सिद्धांत है कि आदर्श ऊपर से आते हैं, क्रांति नीचे से होती है, पर अब दोनों के अभाव में तीसरा विकल्प 'औरत' को ही 'औरत' के लिए जागना होगा। यह जागृति ही मुस्लिम महिलाओं के अभ्युदय की दिशा तय करेंगी।


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