सरकारी जमीन बेचने वाले सिखा रहे कलेक्टर को नियम
मकानों के बजाए प्लाट की रजिस्ट्री करके सरकार को करोड़ो रूपयों की चपत लगाने वाले जिला पंजीयन एवं स्टाम्प कार्यालय के अधिकारियों ने स्टाम्प अधिनियम की अपने तरह से व्याख्या कर डाली है। हकीगत यह है कि उज्जैन में पदस्थ अधिकारियों में से 2 तो आर्थिक अपराध शाखा की जांच के दायरे में पहले से हैं। ढांचा भवन के नजदीक की एक सरकारी जमीन को को प्लाट के रूप में बेच देने के मामले में इनके खिलाफ प्रकरण दर्ज है। जिला पंजीयन के अधिकारियों ने शहर की 4 नवीन कॉलोनियों में तैयार मकानों के बजाए प्लाट्स की रजिस्ट्री कर शासन को चूना लगाने का काम किया। जांच के बाद कलेक्टर को भी स्टाम्प अधिनियम की धारा की गलत व्याख्या कर भ्रमित कर दिया गया। जिला पंजीयन महकमे के अधिकारियों के नए कारनामे को जानने के बाद शायद अब कलेक्टर शशांक मिश्रा को यकीन हो जाए कि इन अधिकारियों की बातों और इनके बताए तथ्यों पर सहज विश्वास नहीं करना चाहिए। उज्जैन कार्यालय में उज्जैन कार्यालय में ढांचा भवन के नजदीक सुंदर नगर में सीलिंग की जमीन को प्लाट के रूप में बेच देने आर्थिक अपराध शाखा ने कॉलोनाइजर रमेशचंद्र बारोड़, अजय बारोड़, अनिल बारोड़ सहित जिला पंजीयन के 3 उप पंजीयक प्रमीला गुप्ता, एसआर दंडोतिया, प्यारेलाल सोलंकी, पटवारी कमलेश शर्मा और तत्कालीन पदेन तहसीलदार के खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध दर्ज किया है। दागी 3 उप पंजीयकों में से एसआर दंडोतिया और प्यारेलाल सोलंकी फिलहाल उज्जैन में ही पदस्थ है। आपको बता दे कि ताजा 4 प्लाट के मामले की जांच के बाद कलेक्टर के निर्देश पर वरिष्ठ जिला पंजीयक मंजूलता पटेल ने दंडोतिया को ही कार्रवाई का जिम्मा सौंपा था। दंडोतिया ने उपपंजीयक साधना सिंह की ओर फाइल आगे बढ़ाई और मामला रफा-दफा हो गया