प्रदेश में रिकॉर्ड धान खरीदी करने वाले जिले में वैसे तो हर साल ढाई लाख हेक्टेयर कृषि भूमि का पंजीयन होता है, लेकिन इस साल प्रदेश सरकार द्वारा फर्जीवाड़ा रोकने पंजीयन में खसरा नंबर की अनिवार्यता किए जाने के बाद एक तरह से इसमें ब्रेक लगने लगा है। स्थिति यह है कि अभी तक 80 हजार दिया हेक्टेयर कृषि भूमि का पंजीयन नहीं नाम हो पाया है। हालांकि पंजीयन में अभी महीने दिन से अधिक का समय शेष कराने महीने दिन से अधिक का समय शेष है इसके अलावा राजस्व रिकार्ड में त्रुटि की शिकायतें भी मिल रही हैं। गौरतलब है कि राज्य में सत्ता परिवर्तन होने के बाद कांग्रेसी सरकार द्वारा जहां धान खरीदी का समर्थन पंजीयन मूल्य 25 प्रति क्विंटल किया गया है, तो वहीं दूसरी ओर इस खरीदी में फर्जीवाड़ा रोकने भी सख्ती से कार्रवाई की जा रही है। इसी कड़ी में इस बार धान रकबा का पंजीयन रिकॉर्ड खसरा नंबर के आधार पर कराने का शिकायतें आदेश जारी किया गया है। विभागीय प्रक्रिया जानकारी के मुताबिक पिछले साल रही जो रकबा पंजीकृत था। उसे प्रदेश जिले स्तर पर सॉफ्टवेयर के माध्यम से हटा पंजीयन प्रबंधन दिया गया है, जबकि किसानों का नाम यथावत है। ऐसे में अब की बार नए पुराने सभी किसानों को पंजीयन कराने कराने पहुंचना पड़ रहा है। इस दौरान रकबा पंजीयन में खसरा नंबर की अनिवार्यता भी की गई है, साथ ही आधार व मोबाइल नंबर भी दर्ज किए जा रहे हैं। ऐसे में धान खरीदी में फर्जी पंजीयन करने वालों की मुश्किलें बढ़ गई है तो दूसरी ओर पटवारी और तहसील कार्यालयों में जमीन का बी1 खसरा निकलवाने किसानों की भीड़ लगने लगी है। इसके अलावा राजस्व रिकॉर्ड में त्रुटि को लेकर भी लगातार शिकायतें मिल रही हैहालांकि या प्रक्रिया लगभग महीने दिन से चल रही है और इतने दिनों में अभी तक जिले में 168540.59 कृषि भूमि का पंजीयन हआ है। जिसमें जिले के 1 लाख 22 हजार 101 किसानों ने अपने कृषि भूमि का पंजीयन नए प्रावधान के अनुरूप कराया है, जबकि जिले में कुल धान का रकबा 2 लाख 50 हजार 000947 दशमलव 161 हेक्टेयर है और किसानों की संख्या 1 लाख 51 हजार 619 है। इस तरह से आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो अभी भी तकरीबन 28 हजार से अधिक किसानों का 80 हजार हेक्टेयर से अधिक का धान का रकबा पंजीकृत नहीं हो पाया हैराज्य शासन के आदेश के तहत इस बार खसरा नंबर के साथ कृषि भूमि का पंजीयन किया जा रहा है। वहीं बी-वन एवं खसरा नंबर मे कही त्रुटि है, तो उसका भी सुधार कार्य किया जा रहा है। सभी का पंजीयन नहीं हुआ है, अभी समय भी बाकी है। -सुशील कुमार चंद्राकर
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