मुस्लिम पक्ष के वकील का दावा

मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा ह का दावा काल्पनिक


अयोध्या मामले की सुप्रीम कोर्ट में चल रही है सुनवाई के 27वें दिन जोरदार बहस हुई। मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने विवादित इमारत की मुख्य गुंबद के नीचे गर्भ गृह होने के दावे को बाद में गढ़ा गया बताया। जजों ने इस पर उनसे कुछ सवाल किए. धवन ने सवाल कर रहे जज के लहजे को आक्रामक बता दिया। हालांकि, बाद में उन्होंने अपने बयान के लिए माफी मांगी। मुस्लिम पक्ष के वकील धवन की मुख्य दलील इस पर आधारित है कि विवादित इमारत के बाहर बना राम चबूतरा वह जगह है जिसे भगवान राम का जन्म स्थान कहा जाता था। वकील राजीव धवन ने विवादित धवन का कहना था कि 1885 में महंत रघुवरदास की तरफ से दाखिल मुकदमे में यही कहा गया था। मुख्य गुंबद के नीचे असली गर्भगृह होने की धारणा को बाद में बढ़ाया गया। इसी वजह से 22-23 दिसंबर, 1949 कीरात वहां गैरकानूनी तरीके से मूर्तियां रख दी गई थीं। गैरकानूनी तरीके से मर्तियां रखीं गवाही पर चर्चा होनी चाहिए धवन की दलीलों के दौरान उन्हें रोकते हुए 5 जजों की बेंच के सदस्य जस्टिस अशोक भूषण ने उनका ध्यान राममूरत तिवारी नाम के एक गवाह के बयान की तरफ दिलाया। धवन ने तिवारी की गवाही को अविश्वसनीय बताते हुए कहा कि उस पर चर्चा नहीं होनी चाहिए। उनका कहना था कि गवाह के पूरे बयान को देखें तो ऐसा लगता है उसे बातें ठीक से याद ही नहीं थी।


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