स्टॉक की चाल का अंदाज

स्टॉक की चाल का अंदाज लगाना फायदेमंद नहीं


पा जार में अच्छा निवेश करने और अच्छा रिटर्न पाने के लिए अलग तरह के कौशल की जरूरत होती है। कॉरपोरेट टैक्स की दर में कटौती के बाद शेयर बाजार में जिस रफ्तार से तेजी आई, वह चौंकाने वाली है। टैक्स रेट में कटौती का इकनॉमी पर क्या असर होगा, यह तो बाद में पता चलेगा, लेकिन जिन निवेशकों ने शेयर बाजारसे उम्मीदें छोड़ दी थीं और करीब-करीब अपना पूरा निवेश निकाल लिया था, वे बुरी तरह फंस गए। इससे पता चलता है कि शेयर बाजार की कारोबारी धारणा में अचानक काफी बडा बदलाव आ सकता है। उसके साथ कदम से कदम मिलाना मूर्खतापूर्ण होगा। ऐसे तमाम निवेशक थे जो बाजार में सुस्ती के चलते दूर खड़े नजारा देख रहे थे। उन्होंने अचानक हवा का रुख बदलने पर बाजार में कूदने का मन बनाया। लेकिन शायद ही वे इस मौके का फायदा उठाए पाए हों। निवेश का कौशल सीखना जरूरी बाजार में अच्छा निवेश करने और अच्छा रिटर्न पाने के लिए अलग तरह के कौशल की जरूरत होती है। इसके दो हिस्से किए जा सकते हैं। पहला कौशल यह पता लगाना है कि किन शेयरों या फंडों का प्रदर्शन बेहतर रह सकता है। दूसरी स्किल यह बताने वाली हो सकती है कि आने वाले समय में बाजार और इकनॉमी की स्थिति कैसी रह सकती है। बाजार और निवेशकों की चाल-ढाल पर वर्षों तक नजर रखने के बाद जो राय बनी है, उसके हिसाब से पहली वाली स्किल कई निवेशकों के पास होती है। चाहे वे अनुभवी हों या नौसीखिए। लेकिन, बाजार और इकनॉमी के बारे में हर बार सही अनुमान लगाने की स्किल हासिल करना व्यावहारिक तौर पर नामुमकिन है। सरकार के बड़े राहत के एलान के साथ शुरू हुआ एपिसोड अपवाद नजर आ सकता है। लेकिन ऐसा है नहीं। जो बात इसे अहम बनाती है, वह यह है कि जो निवेशकपहला पार्ट अच्छे तरीके से निभाते हैं वे अक्सर निवेश में नुकसान उठाते हैं। दूसरे पार्ट को निभाने की कवायद में कमाया हुआ प्रोफिट गंवा बैठते हैं। सही वक्त को पहचानना जरूरी सैद्धांतिक रूपसे कहा जा सकता है कि इसमें निवेशक पहले सही फंड का चुनाव करके खरीदारी के लिए सही वक्त का इंतजार करें और फिर बाजार में गिरावट का रुझान बनने के समय बेचने की कोशिश करें। इसका मतलब यह हआ कि निवेशकजेब में पैसे लिए बैठा और बाजार में तेजी की ऐन शुरुआत तक का इंतजार करे। आमतौर पर जो लोग ऐसा करते हैं या इसकी कोशिश करते हैं, वे अक्सर मार्केट में गिरावट होने बिकवाली करते हैं। वे खरीदारी तब करते हैं, जब में तेज उछाल आ चुकी होती है। कमान का अनमान लगाना तेदा ऐसा नहीं है कि अच्छे शेयर या फंड की पहचान मुश्किल है, लेकिन उनमें तेजी और मंदी के रुझान अनुमान लगाना टेढ़ा काम है। असल में आमतौर वाले उतार-चढ़ाव के बारे में ठीकठाक अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि पाया कि शेयरों और फंडों के चुनाव की स्किल बाजार की हलचल का अनुमान लगाने की स्किल आम बात नहीं है। हो सकता है कि कोई जबरदस्त इनवेस्टमेंट एनालिस्ट हो। लेकिन, इससे उसमें बाजार का रुख भांपने की क्षमता होने की बात का पता नहीं चलता। इसका मतलब यह है कि एक निवेशक के पर हम यह जरूर मानेंगे कि सबसे अच्छी रणनीति हमेशा निवेश करते रहने और उनमें बने रहने की है। अच्छा फंडया अच्छी कंपनी चुनें और एवरेजिंग लिए निवेश करते रहें। बाजार का रुख भांपकर रिटर्न बढ़ाने की कवायद बेमतलब है। 


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