स्ता हित शमा उत्तम क्षमाः सुब्रत सागर
ऐतिहासिक एवं धार्मिक नगरी चंदेरी में दशलक्षण पर्व के समापन पर जैन समाज द्वारा चौबीसी जैन धर्मशाला में क्षमावाणी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। संत शिरोमणि आचार्य 108 विद्यासागर महाराज के चित्र पर दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। मंगलाचरण सीबी समैया एवं समकित जैन ने किया। कार्यक्रम में मुनि 108 सुब्रत सागर महाराज द्वारा अपनी धर्म विचार सभा को संबोधित करते हुए कहा कि चर्या करने में दिनार की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में अथवा यूं कहें कि अपने स्वार्थ सिद्ध करने में बहुत सारे लोगों को हम से परेशानी होना स्वााविक है। लेकिन किसी का दिल दुखाना हमारा उद्देश्य नहीं होता, फिर भी जाने अनजाने में दिल दुख जाता है तो उनके लिए हम मन, वचन, काया से क्षमा मांगते हैं, और यह क्षमा किसी स्वार्थ के वशीभूत नहीं होने से उत्तम क्षमा कहलाती है। और यह क्षमा हर एक प्राणी को हर एक व्यक्ति को मांगना चाहिए, क्योंकि इससे हृदय की कलुष ता समाप्त होती है, जिससे प्रेम वात्सल्य का माहौल बनता है और धार्मिक माहौल बनता है। इस अवसर पर सभी ने अपने-अपने विचार प्रकट किए। 10 लक्षण महापर्व के दौरान समाज के संदीप जैन, अलका जैन, दिशा जैन, राजश्री समैया, चंदा जैन, संगीता, कपस्या, सरोज जैन, पुनीत जैन, प्रिया जैन, सिद्धेश रोकड़ाया, राजमती जैन आदि द्वारा 10 दिवस तक निर्जल उपवास किए गए।