टोपनो ने गांव को रोशन किया

स्वदेश फिल्म की तर्ज पर टोपनो ने गांव को रोशन किया


लोहरदगा के कमिल टोपनो ने अपनी जिद और हौसले से अपने सुदूर गांव खड़यिा में पहाड़ी नदी से बिजली पैदा कर दिखाया हैकमिल की कहानी कुछ-कुछ फिल्म 'स्वदेश' जैसी ही है। अंतर सिर्फ इतना कि जहां इस फिल्म के नायक मोहन भार्गव नासा के वैज्ञानिक थे, टोपनो जब इस मिशन में लगे तो महज इंटर पास थे। वर्तमान में वे बीसीसीएल (धनबाद) में लैब टेक्नीशियन हैं। उनकी यह कामयाबी पांच सालों के लंबे संघर्ष और कई असफलताओं से होकर गुजरी है। कमिल टोपनो बताते हैं कि उनका गांव तीन ओर से पहाड़ी से घिरा हुआ है। वहां सड़क तक नहीं थी, बिजली की तो कोई सोचता नहीं था। 2013- 14 में उन्होंने गांव से एक किलोमीटर दूर से गुजरने वाली पहाड़ी नदी आंवरा झरिया से सिंचाई व हाइड्रो इलेक्ट्रिक पैदा करने की ठानी। उस समय वह नौकरी की तलाश कर रहे थे। एक एनजीओ में मोबाइल चलंत चिकित्सा वाहन में तैनात थे और महीने के 5000 रुपये मिल जाते थे। वेतन का पैसा इस प्रोजेक्ट में लगाया : कमिल वेतन का पूरा पैसा अपने इस सपने में लगाने लगे। पहले नदी के पानी को पाइपलाइन के जरिये खेत तक लाया। अनुदान पर सिंचाई के लिए गांववालों को पाइप दी गई थी। टैंक बनाया और हाइड्रो प्रोजेक्ट की तर्ज पर टरबाइन से बिजली पैदा करने की कोशिश की। कई बार विफल भी रहे। पांच साल बाद मिली सफलता: लेकिन अंततः पांच साल बाद 2019 में जाकर वे सफल रहे। अब सरकार ने जिस काम के लिए पाइप दी थी, वह काम भी हो रहा है और उसी से बिजली भी पैदा हो रही है। टोपनो के मुताबिक पूरे गांव में तो नहीं, लेकिन अपने टोले के 10-12 घरों को बिजली देने में सफल रहे। यदि बड़े स्तर पर प्रयास किया जाए तो नदियों के पानी से कई गांवों को रोशन किया जा सकता है। कमिल को उनके काम के लिए सीएमडी पीएम प्रसाद ने भी सम्मानित किया है। टरबाइन बना बिजली पैदा की टोपनो ने इंटरनेट और यूट्यूब से बिजली पैदा करने की जानकारी जुटाई। इसके बाद खड़िया नदी के पानी को पाइपलाइन के जरिये खेत तक लाए। इस काम में गेंव के युवाओं ने उनकी मदद की। फिर एक टैंक बनाया और हाइड्रो प्रोजेक्ट की तर्ज पर टरबाइन संचालित कर बिजली पैदा करने की कोशिश की। इसमें वे कई बार विफल रहे लेकिन अंत में सफलता मिल ही गई।


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